Maldives : पर्यटन पर टिकी 70% अर्थव्यवस्था, एक तिहाई सैलानी भारतीय; फिर क्यों भारत से रिश्ते बिगाड़ रहा मालदीव?
India Maldives Relations: मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ उप मंत्रियों की तरफ से की गई अपमानजनक टिप्पणी.
2 और 3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के दौरे पर गए थे। इस दौरे की कुछ तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर भी साझा की जिमसें समुद्री बीचों के आकर्षक नजारे भी देखने को मिले। इसी बीच मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी को लेकर अपमानजनक बयान दिया जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। खुद देश में विपक्षियों की तीखी आलोचना के बीच मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया। अब सोमवार को भारत सरकार ने आधिकरिक रूप से विरोध जताने के लिए मालदीव के उच्चाययुक्त को तलब किया।
COVID-19 के दौरान भारत मददगार
मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) ने अपने बयान में कहा कि भारत मालदीव के पर्यटन उद्योग में भी लगातार और महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है. COVID-19 के दौरान भारत एक ऐसे मददगार के रूप में सामने आया, जिसने हमारे बिगड़े हुए हालात को सुधारने में मदद की. उसके बाद से भारत मालदीव के लिए शीर्ष बाजारों में से एक बना हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि हमारी इच्छा है कि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध आने वाली पीढ़ियों तक बने रहें. इसके लिए हमें अभद्र बयानबाजी से बचाना चाहिए, जिसकी वजह से हमारे अच्छे संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव न डाल सके.
पहले जानते हैं मालदीव कहां है और इसकी आबादी कितनी है?
यह हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीप देश है। इसे मालदीव द्वीप समूह के नाम से भी जाना जाता है जबकि इसका आधिकारिक नाम मालदीव गणराज्य है। द्वीप देश की भौगोलिकता देखें तो यह मिनिकॉय आईलैण्ड और चागोस द्वीपसमूह के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन है। मालदीव का फैलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है। भारत के पश्चिम तट से मालदीव की दूरी 300 नॉटिकल मील है। मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है। इसकी आबादी महज 5,15,122 है। ( Details for information purpose only)
भारत के साथ इसके रिश्ते कैसे रहे हैं?
भारत और मालदीव आपस में मानवीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं। पिछले कई वर्षों में संबंध घनिष्ठ, सौहार्दपूर्ण और बहुआयामी रहे हैं। 1965 में मालदीव की आजादी के बाद उसे मान्यता देने और देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में भारत था। 1965 से ही सैन्य, रणनीतिक, पर्यटन, आर्थिक, औद्योगिक, चिकित्सकीय और सांस्कृतिक जरूरतों के लिए मालदीव भारत पर आश्रित रहा है।
ऐसे भी बढ़ाए मदद के हाथ
- 2004 की सुनामी और 2014 के जल संकट में भारत ने ही मालदीव को सबसे पहले मदद पहुंचाई।
- 2018 में ही भारत ने मालदीव को 140 करोड़ डॉलर का आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
- 2018 से 2022 में मालदीव से 87 हजार लोग भारत में इलाज कराने आए जो 5.15 लाख आबादी वाले देश का एक बड़ा हिस्सा है।
- 2020 में भारत ने मालदीव को चेचक के 30 हजार टीके मुहैया करवाए। इसके बाद कोरोना काल में वैक्सीन से लेकर आवश्यक स्वास्थ सुविधाएं भी दीं।
- 2023 में खेलों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने मालदीव को चार करोड़ डॉलर मुहैया करवाए।
भारत पर कैसे निभर है मालदीव का पर्यटन?
पिछले कुछ वर्षों में मालदीव जाने वाले पर्यटकों में भारतीयों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2018 में देश के पर्यटन बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 6.1% थी। इस साल भारत से 90,474 लोग मालदीव घूमने पहुंचे जो पर्यटकों के आगमन का 5वां सबसे बड़ा स्रोत था। 2019 में 2018 की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में भारत पर्यटक द्वीप देश पहुंचे जो अन्य देशों के मुकाबले दूसरा सबसे ज्यादा आंकड़ा था।
जब दुनिया महामारी के प्रकोप से गुजर रही थी ऐसे वक्त में 2020 में मालदीव के पर्यटन बाजार के लिए सबसे बड़ा स्रोत भारत बना। इस साल लगभग 63,000 भारतीयों ने मालदीव का दौरा किया था। 2021 और 2022 में भारत से 2.91 लाख और 2.41 लाख से अधिक पर्यटक मालदीव पहुंचे। इस तरह से दोनों वर्षों में मालदीव के पर्यटन बाजार में भारतीयों की भागीदारी क्रमश: 23% और 14.4% रही जिससे भारत शीर्ष बाजार भी बना रहा। 13 दिसंबर 2023 तक भारत 11.1% बाजार हिस्सेदारी के साथ मालदीव के लिए दूसरा प्रमुख स्रोत बाजार रहा। 13 दिसंबर तक 1,93,693 भारतीय सैलानियों ने मालदीव की यात्रा की।
अब क्यों बिगड़ने लगे दोनों देश के रिश्ते?
दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे मधुर रिश्तों में कड़वाहट 2023 के मालदीव आम चुनाव के बाद आई है। दरअसल, मालदीव में 9 और 30 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इस चुनाव में पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार और माले के मेयर मोहम्मद मोइजू ने भारत समर्थक और निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया और मालदीव के निर्वाचित राष्ट्रपति बने। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान मोइजू की पार्टी ने ‘इंडिया आउट’ नाम से अभियान चलाया था जिसमें वहां मौजूद करीब 70 भारतीय सैनिकों को भी वापस भेजने का चुनावी वादा शामिल था।
सोलिह की हार के साथ ही यह आशंका जताई गई थी कि भारत और मालदीव के रिश्ते खराब हो सकते हैं क्योंकि मोइजू चीन समर्थक माने जाते हैं। चुनाव से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा भी था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन और मालदीव के रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा।
मोइजू के राष्ट्रपति बनने के बाद आशंकाएं हकीकत होने लगीं। इसका पहला उदाहरण तब देखने को मिला जब नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद मोइजू के कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि सरकार ने भारत से देश से अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है। यहीं से दोनों देशों के मधुर रिश्ते में कड़वाहट घुल गई।
India Maldives Conflict: भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मालदीव के कुछ मंत्रियों की तरफ से की गई अपमानजनक टिप्पणी के बाद मालदीव एसोसिएशन ऑफ टूरिज्म इंडस्ट्री (MATI) का बयान आया है. उन्होंने कहा कि वो ऐसे अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी निंदा करता है. MATI ने कहा कि मालदीव के इतिहास में भारत हमेशा मुसीबत के समय सबसे पहले आगे आता है.
MATI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि नरेंद्र मोदी के साथ-साथ भारत के लोगों के प्रति की गई अपमानजनक टिप्पणियों की हम कड़ी निंदा करते हैं. भारत हमारे निकटतम पड़ोसियों और सहयोगियों में से एक है.
MATI ने सोमवार को एक बयान में कहा, ”भारत हमेशा हमारे संकट भरे पल में पहला मददकर्ता रहा है. हम सरकार के साथ-साथ भारत के लोगों की तरफ से हमारे साथ बनाए गए घनिष्ठ संबंधों के लिए बेहद आभारी हैं ( details for information purpose only)